गुरु भगीरथ प्रयास करके जीव के अशुद्ध मन को शुद्ध करता है और शुद्ध करने के पश्चात् उसे भगवान् को समर्पित करवाता है ! अर्थात शुद्ध होने पर ही भगवान् की स्वरूप शक्ति द्वारा वह दिव्य बन कर भगवत्प्रेम प्राप्ति का अधिकारी बनता है ! तब भगवत्प्राप्ति होती है !
*************जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु महाप्रभु .
*************जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु महाप्रभु .
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