कोरे शब्द ज्ञान ते बने ना कछु कामा।
मन करो शरणागत पद श्री श्यामा।।
मन करो शरणागत पद श्री श्यामा।।
भावार्थः- केवल पुस्तकीय ज्ञान से कल्याण की आशा करना व्यर्थ है। जब तक यह मन श्रीराधा पद्य-पराग का मत्त मधुप नहीं बन जाता तब तक इसे संसार के विषय-विष अपनी ओर आकर्षित करते ही रहेंगे।
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