संसार में जब किसी नदी पर नांव में बैठ कर जाते हैं तो हमेशा संभल कर नांव में बैठे रहते हैं डर रहता है की पानी की ओर झुकेंगे तो कहीं नदी में डूब ना जाये। ठीक वैसे ही भगवान की ओर जाते समय गुरु के बताये मार्ग पर ही आगे जाना है।
.......जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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