चिन्तन
प्रमुख है । सर्वनाश और भगवत्प्राप्ति, इन दोनों का एक सिद्धान्त है-
चिन्तन । संसार का बार-बार चिन्तन किया, तो संसार मे आसक्ति हो गई । भगवान्
का चिन्तन करने से भगवान् से अनुराग हो जायेगा । संसार में मन की आसक्ति
बहुत गहरी है । यदि किसी के संयोग में सुख मिलता है तो उसके वियोग में दुःख
मिलेगा, जितनी मात्रा में सुख मिलता है, उतनी मात्रा में वियोग होगा ॥
---- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
---- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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