चाहे
जैसी भी परिस्थिति हो सदैव हरि-गुरु के अनुकूल ही चिन्तन करो । प्रतिकूल
परिस्थिति में भी अनुकूल चिन्तन बना रहे तभी समझो कि हमारी स्थिति ठीक है।
चाहे कैसी भी कठिन सेवा हो या आज्ञा हो उसके पालन में प्राणपन से बलिहार
जाना चाहिए।
............श्री महाराज जी।
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