"जिस
वातावरण से तुमको नुकसान होने वाला है,उस वातावरण में तुम क्यों जाते हों।
शास्त्रों में लिखा है- धधकते अंगारों के बीच लोहे के पिंजरे में प्राण
त्याग देना अच्छा है, बजाय इसके कि गलत atmosphere में पहुँच जाना।
भगवदप्राप्ति के एक सेकंड पहले तक पग पग पर खतरा है। शास्त्रों का ज्ञाता
जितेंद्रिय धर्मात्मा अजामिल भी एक क्षण के कुसंग से पापियों की example बन
गया। अनंत जन्मों का गलत अभ्यास है इसलिए बिगड़ना जल्दी हो जाता है और बनना
देर में होता है। बिगड़ने की बहुत लंबी प्रैक्टिस है।
-----जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।"
-----जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।"
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