महापुरुषों
के स्मरणमात्र से ही अंतःकरण शुद्ध हो जाता है। फिर वह स्वयं साक्षात्
आपके घर पर पधार जायें तब तो वो घर मंदिर बन जाता है , पवित्र हो जाता है।
उनके दर्शन , स्पर्श , चरणप्रक्षालन और आसन दान आदि का सौभाग्य मिलने पर तो
वो जीव धन्य हो जाता है , कृतकृत्य हो जाता है।
...........श्री महाराज जी।
No comments:
Post a Comment