हे
श्रीकृष्ण ! यदि दीनता से ही तुम कृपा करते हो तो वह तो मेरे पास थोड़ा भी
नहीं है ! अतः पहले ऐसी कृपा करो कि दीन भाव युक्त बनूँ ! ' ऐसा कह कर
आँसू बहाओ ! यह करना पड़ेगा ! मानवदेह क्षणिक है ! जल्दी करो ! पता नहीं कब
टिकिट कट जाय !
यह मेरा नम्र निवेदन सभी से है !
(जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज).
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