सत्य अहिंसा आदि मन ! बिन हरिभजन न पाय |
जल ते घृत निकले नहीं , कोटिन करिय उपाय ||३५||
भावार्थ – सत्य अहिंसादि दैविगुण केवल श्रीकृष्ण भक्ति से ही मिल सकते हैं
| जैसे पानी मथने से घी नहीं निकल सकता | ऐसे ही अन्य करोड़ों उपायों से
दैविगुण नहीं मिलते |
(भक्ति शतक )
जगदगुरु श्री कृपालुजी महाराज द्वारा रचित |
जल ते घृत निकले नहीं , कोटिन करिय उपाय ||३५||
भावार्थ – सत्य अहिंसादि दैविगुण केवल श्रीकृष्ण भक्ति से ही मिल सकते हैं | जैसे पानी मथने से घी नहीं निकल सकता | ऐसे ही अन्य करोड़ों उपायों से दैविगुण नहीं मिलते |
(भक्ति शतक )
जगदगुरु श्री कृपालुजी महाराज द्वारा रचित |
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