सबै भिखारी जगत के , जेतिक नातेदार।
दिव्य प्रेम आनंद के,तुम इक साहूकार।।
दिव्य प्रेम आनंद के,तुम इक साहूकार।।
संसार के सभी जीव आनंद के भिखारी हैं और हम अनादिकाल से अज्ञान के कारण उन्हीं को अपना नातेदार सम्बन्धी मान कर उन्हीं से आनंद की आशा करते रहे। किंतु हे नाथ! अब आपकी कृपा से मैं यह समझ गया कि एक मात्र 'आप ही' मेरे हैं और उस दिव्य प्रेमानंद के दाता एवं धनी भी एकमात्र आप ही हैं। अतः हे नाथ! इस भिक्षुक को भी प्रेमानंद देने की कृपा करें।
#जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज।
#जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज।
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