Monday, November 5, 2018

गुरु हरि का ही रूप गोविंद राधे।
जानो अरु मानो अरु औरों को जना दे।।
भावार्थ- ‘आचार्य मां विजानीयान्नावमन्येत कर्हिचित्।’ सद्गुरु प्राप्त हो जाने पर ‘गुरु भी हरि का ही रूप है’ स्वयं ऐसा विश्वास हृदय में धारण कर लेना चाहिये एवं दूसरों को भी यह सिद्धांत भली भाँति समझा देना चाहिये जिससे जीव नामापराध से बच सके।
जाने का अर्थ माने गोविंद राधे।
माने का अर्थ क्रिया रूप दे बता दे।।
भावार्थ- जानने का वास्तविक तात्पर्य है मानना एवं मानने का वास्तविक अर्थ ज्ञान को क्रिया रूप में परिणत करना है।
जाना तो अनंत बार गोविंद राधे।
माना नहिं हेतु महापाप बता दे।।
भावार्थ- जीव ने न जाने कितनी बार संत व भगवान् का दर्शन, संग आदि किया पर उन पर विश्वास नहीं किया अत: पाप ही करता रहा।

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