ब्रह्म सर्वव्यापक, है सर्वनियन्ता है, सर्वसृष्टा है। जबकि जीव व्याप्य है, नियम्य है, सृज्य है। जीव के ब्रह्म से अनेक संबंध हैं। वस्तुतः श्रीकृष्ण ही जीव के माता, पिता, भ्राता, स्वामी, सखा, पुत्र, प्रियतम, सब कुछ हैं। इन्हीं संबंधों से केवल श्रीकृष्ण की निष्काम सेवा करनी है।
........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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