श्रीकृष्ण
सूर्य के समान हैं, और माया अन्धकारमय है। जहां श्रीकृष्ण हैं वहां फिर
माया का कुछ भी अधिकार नहीं है। अतः श्रीकृष्ण भक्ति के बिना न तो बुद्धि
ही विशुद्ध हो सकती है और न यह जीव माया के चंगुल से छुटकारा पा सकता है।
.......जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
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