मृत्यु के आगे किसी का वश नहीं है । सीधे या टेढ़े । इसलिये हर समय
सावधान रहना चाहिये । यह सावधानी है कि अगला क्षण न मिला तो ? सावधान रहो ।
तैयार रहो , तैयार रहो । भगवान् को न भूलो , ताकि अन्तिम समय में भगवान्
का स्मरण रहे , तो भगवान् के लोक में जायें । हम अगर दिन भर , भगवान् का
स्मरण करते हैं और चौबीस घंटे में बस दो मिनट पहले भगवान् को भूल करके माँ ,
बाप , बेटा , स्त्री , पति का स्मरण करने लगे और मर गये तो -
यं यं वापि स्मरंभाव त्यजत्यन्ते कलेवरम् ।
तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावितः ।।
( गीता 6-8 )
जड़ भरत सरीखे परमहंस मरते समय हिरन का स्मरण करके मरे , तो हिरन बनना पड़ा। परमहंसों का यह हाल है, तो मायाबद्ध का क्या होगा ?
----- जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज।
यं यं वापि स्मरंभाव त्यजत्यन्ते कलेवरम् ।
तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावितः ।।
( गीता 6-8 )
जड़ भरत सरीखे परमहंस मरते समय हिरन का स्मरण करके मरे , तो हिरन बनना पड़ा। परमहंसों का यह हाल है, तो मायाबद्ध का क्या होगा ?
----- जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज।
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