श्रीकृष्ण भक्ति ही एकमात्र मार्ग है और कोई भी साधन अपेक्षित नहीं है, न
जानने की जरूरत है, न सोचने की और उसमें कोई यह भी नहीं है कि श्रीकृष्ण
भक्ति में या शरणागति में क्या- क्या करना होगा ? कुछ भी नहीं करना, केवल
सोचना है। वो तो भाव के भूंखे हैं। वहाँ कुछ करना- वरना नहीं है।
भगवान कोई बनावट नहीं चाहता, कोई तरकीब ? कोई जंत्र, मंत्र, तंत्र, सबेरे चार बजे उठो कि छः बजे, कि पूरब की तरफ मुँह करो, कि पश्चिम की तरफ करो, इस आसन से बैठो, यह कपड़ा पहनो, नहाओ धोओ, कुछ कोई मतलब नहीं। केवल सच्चे मन से रोकर उसे पुकारो। बस वह आपके पास दौड़ा चला आएगा।
🌸 तजि दे छल छंदा, राधे राधे गोविंदा।🌸
🌸 भजि ले मति मन्दा, राधे राधे गोविंदा।।🌸
🌹🌹🌹🌹🌹🌹 राधे राधे 🌹🌹🌹🌹🌹🌹
भगवान कोई बनावट नहीं चाहता, कोई तरकीब ? कोई जंत्र, मंत्र, तंत्र, सबेरे चार बजे उठो कि छः बजे, कि पूरब की तरफ मुँह करो, कि पश्चिम की तरफ करो, इस आसन से बैठो, यह कपड़ा पहनो, नहाओ धोओ, कुछ कोई मतलब नहीं। केवल सच्चे मन से रोकर उसे पुकारो। बस वह आपके पास दौड़ा चला आएगा।
🌸 तजि दे छल छंदा, राधे राधे गोविंदा।🌸
🌸 भजि ले मति मन्दा, राधे राधे गोविंदा।।🌸
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