Thursday, February 4, 2016

आत्‍मा की परवाह नहीं है....!!!
ठीक है मन बहुत पापी है, तो फील तो करो। पचास बार कोशिश करोगे एक बार मन लगेगा। तो कल उनचास बार में एक बार लगेगा, परसों अड़तालिस बार में एक बार लगेगा, ऐसे अभ्‍यास करते- करते लगने लगेगा।
जब आप लोग पैदा हुये तो करवट बदलना भी नहीं जानते थे। सोचिये कितना मुलायम शरीर था, और उतान पड़े रहते थे। अब आप हट्टे- कट्टे होकर लम्‍बे चौड़े, छः फुट के हो गये। कभी ऑपरेशन में आप को चार दिन डॉक्‍टर बिना करवट के कम्‍पलीट रेस्‍ट के लिये कहता है तो करते हैं और उस अवस्‍था से लेकर आप दौड़ने लगते हैं। ये अभ्‍यास से तो हुआ।
भगवान् के विषय में आप क्‍यों हार मानते हैं, कि क्‍या बतायें समझते तो हैं लेकिन होता नहीं। होता नहीं? कोई होता है? ये आप लोग कपड़ा पहन कर बैठे हैं, ये अपने आप कपड़ा आपको पहन जाता है? नहीं जी, नहाते हैं, धोते हैं फिर एक- एक कपड़ा पहनते हैं, अंगो को ढकते हैं। क्‍यों? नंगे क्‍यों नहीं घूमते? अरे नहीं, लोग क्‍या कहेंगे। लोगों की इतनी परवाह है और आत्‍मा की परवाह नहीं है कि मरने के बाद क्‍या होगा? इतने असावधान हैं दिन भर। अरे! गधों आत्मा की परवाह करो शरीर की नहीं।
-----जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।

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