जरा सोचिए:
संसार मे सर्वत्र यही देखा जाता है, कि जिससे भी हमारा स्वार्थ हो हम उसे रिझाने के लिए अनेकानेक झूठे सच्चे स्वांग रचते रहते हैं । इस पर भी वह हमारे हित साधेगा ही यह जरुरी नही है ।और यह तो अंसभव ही है ,कि कोई अपने अहित की कीमत पर हमारा स्वार्थ साधे ।
और दूसरी तरफ जिसका अपना कोई स्वार्थ ही ना हो, जिसे देने के लिए हमारे पास कोई समान ही ना हो ,जिसे प्रसन्न करने के लिए हम कभी सच्चा प्रयास भी ना करते हो , वह व्यक्तित्व केवल हमारा हित साधने के लिए अनवरत , अथक व अकथ प्रयास करता रहे, वह भी हमे बिना बताये । हमारे न समझने पर दूसरी बार दूसरी तरह से फिर तीसरी तरह से फिर . . . . . . लगातार बिना निराश हुये हमारे मानसिक स्तर पर उतरकर कष्ट, पीडा व बदनामी को सहन करते हुए , हमारे परम चरम हित के लिए लगा रहे । विडम्बना ये कि हम उसे प्रसन्न करने का प्रयास कर उसके पावन चरणारविन्दो पर अपना सर्व-समर्पण कर अपने आप को लुटा देना तो दूर , उसके उपकारो को रियलआइज़(realize) भी ना करेँ . . . . . !!
संसार मे सर्वत्र यही देखा जाता है, कि जिससे भी हमारा स्वार्थ हो हम उसे रिझाने के लिए अनेकानेक झूठे सच्चे स्वांग रचते रहते हैं । इस पर भी वह हमारे हित साधेगा ही यह जरुरी नही है ।और यह तो अंसभव ही है ,कि कोई अपने अहित की कीमत पर हमारा स्वार्थ साधे ।
और दूसरी तरफ जिसका अपना कोई स्वार्थ ही ना हो, जिसे देने के लिए हमारे पास कोई समान ही ना हो ,जिसे प्रसन्न करने के लिए हम कभी सच्चा प्रयास भी ना करते हो , वह व्यक्तित्व केवल हमारा हित साधने के लिए अनवरत , अथक व अकथ प्रयास करता रहे, वह भी हमे बिना बताये । हमारे न समझने पर दूसरी बार दूसरी तरह से फिर तीसरी तरह से फिर . . . . . . लगातार बिना निराश हुये हमारे मानसिक स्तर पर उतरकर कष्ट, पीडा व बदनामी को सहन करते हुए , हमारे परम चरम हित के लिए लगा रहे । विडम्बना ये कि हम उसे प्रसन्न करने का प्रयास कर उसके पावन चरणारविन्दो पर अपना सर्व-समर्पण कर अपने आप को लुटा देना तो दूर , उसके उपकारो को रियलआइज़(realize) भी ना करेँ . . . . . !!
हे र्दुदैव! हम और हमारे कृत्घनी मन को धिक्कार है ।
हे करुणामयी अम्मा! इससे पहले कि अधिक देर मे अंधेर हो जाये ,हमारी कुटिल कुचाली विपरीत बुद्धि को ठीक कर दो !
हमे सद्बुद्धि की भीख दे दो माँ ,चरण कमल बलिहार............. !!
हे करुणामयी अम्मा! इससे पहले कि अधिक देर मे अंधेर हो जाये ,हमारी कुटिल कुचाली विपरीत बुद्धि को ठीक कर दो !
हमे सद्बुद्धि की भीख दे दो माँ ,चरण कमल बलिहार............. !!
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