गुरु की हो भक्ति वैसी जैसी श्याम श्यामा !
या करो गुरु की ही भक्ति आठु यामा !!
भावार्थ -अपने इष्ट श्यामा -श्याम एवं गुरु की एक जैसी भक्ति ही करनी चाहिये अथवा केवल गुरु की ही भक्ति करें !
ये भक्ति निरन्तर बनी रहे इस का ध्यान रखना है !
-जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज .
No comments:
Post a Comment