जिसके मन में भगवान् के प्रति भक्ति है, वही यथार्थ भक्त है। बाहरी आडम्बर वाला नहीं।भगवान् मन का भाव देखते हैं, मन पर ध्यान देते हैं, बाहरी वेशभूषा पर नहीं।
इसलिये मन से भगवान् की भक्ति करें। दुनियाँ के लोग चाहे तुम्हे भक्त न मानें।
' अरे मन मूरख होश सँभाल।
प्रेम से भज ले श्री गोपाल।। '
इसलिये मन से भगवान् की भक्ति करें। दुनियाँ के लोग चाहे तुम्हे भक्त न मानें।
' अरे मन मूरख होश सँभाल।
प्रेम से भज ले श्री गोपाल।। '
No comments:
Post a Comment