एक साधक का प्रशन:- भगवान् सर्वव्यापक होते हुए भी अभी तक क्यों नहीं मिले ?
श्री महाराज जी द्वारा उत्तर:- तुमने चाहा नहीं ! चाहने में अनेक स्तर हैं । ऐसा चाहो कि उसके पाये बिना रहा न जाय । उससे मिले बिना एक क्षण युग के समान लगे । जैसे - जैसे व्याकुलता बढ़ेगी तुम भगवान् के पास पहुँचते जाओगे। व्याकुलता ही श्याम मिलन का आधार है । अपने को अधम पतित मान कर मनुहार करो और आँसू बहाकर भगवान् के निष्काम प्रेम कि याचना करो । संसार न माँगो। तब भगवान् महापुरुष के द्वारा अपना दिव्य स्वरूप दिखायेंगे।
श्री महाराज जी द्वारा उत्तर:- तुमने चाहा नहीं ! चाहने में अनेक स्तर हैं । ऐसा चाहो कि उसके पाये बिना रहा न जाय । उससे मिले बिना एक क्षण युग के समान लगे । जैसे - जैसे व्याकुलता बढ़ेगी तुम भगवान् के पास पहुँचते जाओगे। व्याकुलता ही श्याम मिलन का आधार है । अपने को अधम पतित मान कर मनुहार करो और आँसू बहाकर भगवान् के निष्काम प्रेम कि याचना करो । संसार न माँगो। तब भगवान् महापुरुष के द्वारा अपना दिव्य स्वरूप दिखायेंगे।
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