कृपासिन्धु
गुरुवर तो किसी से कुछ अपेक्षा ही नहीं करते वो तो पुनः-पुनः यही कहते हैं
कि मुझे प्रसन्न करना चाहते हो, मुझे बधाई देना चाहते हो तो एक ही
प्रतिज्ञा करो-
श्यामा श्याम नाम रुप लीला गुण धामा ।
गाओ रोके रुपध्यान युक्त आठों यामा ॥
श्यामा श्याम नाम रुप लीला गुण धामा ।
गाओ रोके रुपध्यान युक्त आठों यामा ॥
हर क्षण , हर पल, श्री महाराजजी का चिन्तन, मनन, स्मरण यही रहता है किस
प्रकार कलियुग में इन जीवों का निरन्तर हरि-गुरु स्मरण हो और ये निष्काम
अनन्य भक्ति द्वारा शीघ्रातिशीघ्र अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।
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