क्षण
क्षण अपना, साधना तथा सेवा में व्यतीत करो । आज का दिन फ़िर मिले ना मिले
!! दोबारा मानव देह फिर मिले ना मिले !! इस समय तो मानव देह भी मिला है और
गुरु भी मिल गया है ।
फिर लापरवाही क्यों ?
इससे अच्छा अवसर फ़िर आसानी से नहीं मिलने वाला......।
फिर लापरवाही क्यों ?
इससे अच्छा अवसर फ़िर आसानी से नहीं मिलने वाला......।
बार - बार सोचो !!!
...................................." तुम्हारा कृपालु "।
...................................." तुम्हारा कृपालु "।
No comments:
Post a Comment