दो
बातों को बहुत सावधानी से सदा और एक साथ ध्यान में रखना है कि भगवान का
सदा सर्वत्र स्मरण हो और एक क्षण का उधार न हो। अगला क्षण मिले न मिले। अगर
हम मानव देह की क्षणभंगुरता पर सदा ध्यान केन्द्रित रखें तो लापरवाही नहीं
करेंगे। सावधान रहेंगे।
......श्री महाराजजी।
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