श्री
महाराज जी अपने सम्पूर्ण साहित्य एवं प्रवचन द्वारा पुनः - पुनः यही
सिद्धान्त जीवों के मस्तिष्क में भर रहें हैं। उनके मतानुसार ब्रह्म जीव
माया तीन तत्व सनातन हैं , किन्तु जीव एवं माया दोनों ही ब्रह्म की शक्ति
हैं। ब्रह्म श्री राधाकृष्ण का दिव्य प्रेम प्राप्त करना साध्य एवं उनकी ही
निष्काम भक्ति करना ही साधना है।
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