84 लाख शरीरों में मानव देह ही ऐसा है जिसमें साधना द्वारा मानव , महामानव बन सकता है।
किन्तु साथ ही यह मानव देह क्षणभंगुर है। अतएव तन,मन,धन,का उपयोग भगवद्विषय में तुरन्त करना चाहिए।
उतिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत ( वेद )
उठो , जागो , महापुरुष की शरण में जाओ एवं अपना लक्ष्य प्राप्त करो।
.........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
किन्तु साथ ही यह मानव देह क्षणभंगुर है। अतएव तन,मन,धन,का उपयोग भगवद्विषय में तुरन्त करना चाहिए।
उतिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत ( वेद )
उठो , जागो , महापुरुष की शरण में जाओ एवं अपना लक्ष्य प्राप्त करो।
.........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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