संसार में जिसे तुम बहुत अपना मानते हो........माँ , बाप , भाई, बीवी, दोस्त। अगर वो एक बार तुमसे कोई जरा सा झूठ बोल दे तो कितना फील करते हैं न आप लोग ?? कितना अपमान लगता है न अपना की हमसे झूठ बोला इसने जबकि मैं इसे कितना अपना मानता हूँ।
और कभी सोचा है कि....वो गुरु और भगवान .....जो तुम्हे सबसे ज्यादा अपना मानते है ...अरे मानना क्या है....... तुम्हारा वास्तव में माँ बाप भाई प्रियतम और है ही कौन .....सारे रिश्ते तो उन्हीं से हैं न , वो तुम सब की तरफ हर पल इसी आशा में देखते रहते है कि अबकी बार ये सच ही बोल रहा है , कीर्तन में जो लाइन बोल रहा है वो सच ही बोल रहा है । अबकी बार ये पूर्ण शरणागत हो जायेगा और मैं इसे प्रेम दान कर दूंगा। पर होता क्या है ......हम झूठ पे झूठ- झूठ पे झूठ-झूठ पे झूठ बोले चले जा रहे हैं आराम से ....कोई परवाह ही नहीं है। वो हमे परखते ही रहे जा रहे हैं अनंत काल से और हम झूठ बोले चले जा रहे हैं आराम से। संसार के रिश्तों को तो वास्तव में अपना मानते हैं और जो वास्तव में अपने हैं उनसे झूठ बोले जा रहे हैं....कमाल है !...कभी सोचा है कि कितना दुःख होता होगा उन्हें ?????
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