मन,
भगवान् में लगाना है । मन गन्दा है और इसके विचार अनन्त जन्म में
बिगडते-बिगडते स्वाभाविक गन्दे हो गये हैं, अतः मन को शुद्ध करना है । मन
से ही अच्छे-बुरे विचार उत्पन्न होते हैं, यदि मन ने अपनी स्थिति ठीक कर
ली, तो सब ठीक हो जायेगा।
------सुश्री श्रीधरी दीदी (प्रचारिका), जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
------सुश्री श्रीधरी दीदी (प्रचारिका), जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
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