हजारों
साधनायें करते रहो,साधन कर-कर के अनंत जन्म बिता दो लेकिन भक्ति नहीं
मिलेगी। भक्ति तो शरणागति से मिलती है,यानी साधनहीन भाव से मिलती है। साधन
के बल को भुला दो। " साधनहीन दीन अपनावत"है वो।
नाथ सकल साधन ते हीना। भीतर से यह भाव बनाना होगा। करेक्ट,सेंट परसेंट।
------- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
नाथ सकल साधन ते हीना। भीतर से यह भाव बनाना होगा। करेक्ट,सेंट परसेंट।
------- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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