संसार
में हमने जितने काम किये हैं, अभ्यास से आगे बड़े हैं। ये बड़े बड़े नट
कमाल करते हैं जो, जिनको आप दूर से बैठे देखते हैं खुश होते हैं। वाह भाई!
वाह! कमाल कर दिया। वह कैसे कमाल कर दिया उसने? अभ्यास से । बस। वह भी
हमारी तरह था पहले। अभ्यास करके यहाँ पहुँच गया वह। संसार में तो हम
सर्वत्र अभ्यास करके आगे बड़े है। तो फिर भगवान् के एरिया में निराश क्यों
हों। और कोई सूरत भी नहीं। अगर कोई कहे निराश होकर बैठ जाएँगे हम
भगवत्प्राप्ति से बाज आये। तो 84 लाख घूमने से बाज आओगे क्या? वो तो करना पड़ेगा। एक साइड में तो जाना ही पड़ेगा आपको। इसलिये घबड़ाना नही चाहिये अभ्यास लगातार करतें रहें।
रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान।
अभ्यास में बहुत बड़ी शक्ति है।
--- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
अभ्यास में बहुत बड़ी शक्ति है।
--- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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