★जगद्गुरुत्तम-मुखारविन्द-बिन्दु★
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हम उन लोगो को सबसे अधिक अभागा/भाग्यहीन समझते हैं जो वृद्धावस्था आने पर भी भगवद्भजन की ओर प्रवृत्त नही होते और अपने नाती-पोतों के लालन-पालन (अनावश्यक अपनी संतान की गृहस्थी में) में ही उलझे रहते हैं ।
हम कहते हैं कि अरे ! तुमने अपने बच्चो की परवरिश कर दी उनको पढ़ा-लिखा कर अपनी duty पूरी कर दी, बात खत्म ! लेकिन नही मानते !!
शायद ठान लिया हैं कि इस अनमोल मानव-जीवन को बर्बाद करके ही छोड़ेंगे !!!
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हम उन लोगो को सबसे अधिक अभागा/भाग्यहीन समझते हैं जो वृद्धावस्था आने पर भी भगवद्भजन की ओर प्रवृत्त नही होते और अपने नाती-पोतों के लालन-पालन (अनावश्यक अपनी संतान की गृहस्थी में) में ही उलझे रहते हैं ।
हम कहते हैं कि अरे ! तुमने अपने बच्चो की परवरिश कर दी उनको पढ़ा-लिखा कर अपनी duty पूरी कर दी, बात खत्म ! लेकिन नही मानते !!
शायद ठान लिया हैं कि इस अनमोल मानव-जीवन को बर्बाद करके ही छोड़ेंगे !!!
-----जगद्गुरु श्रीकृपालु महाप्रभु।
[श्रीमहाराज जी तथा सत्संगियो के मध्य हुई जनरल वार्तालाप से संकलित]
★★★★राधे राधे★★★★
[श्रीमहाराज जी तथा सत्संगियो के मध्य हुई जनरल वार्तालाप से संकलित]
★★★★राधे राधे★★★★
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