एतावानेव लोकेऽस्मिन् पुंसां धर्मः परः स्मृतः।
भक्तियोगो भगवति तन्नामग्रहणादिभिः॥
प्रत्येक जीव का धर्म ये है कि वो भगवान् के नाम संकीर्तन आदि साधनों के
द्वारा भक्ति करे।यानी भगवान् को धारण करे,माया को धारण न करे, जो किया है
निकाले।
------ जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
No comments:
Post a Comment