किसी
वस्तु में जो हम मन से आइडिया बनाते हैं, उसके कारण सुखी दुखी होते हैं I
वो वस्तु हम को मिल जाए ये कामना बनाया I नही मिली दुखी हुए I कामना ना
बनाते आराम से बैठे थे कोई परेशानी नही I कोई संसार की वस्तु पुरुष हो
स्त्री हो सामान हो यह हमको मिल जाए यह आइडिया बनाया कि दुख शुरू हो गया I
और अगर वो आइडिया ना बनता तो आराम से बैठा रहता संसार हो हमारी बला हो हम
को करना क्या है I तो हमने जो भावना बनाया उस भावना के कारण हम सुखी दुखी
होते हैं I एक लड़की है I एक ने सहेली बनाया एक ने बेटी
बनाया एक ने बहन बनाया एक ने बीबी बनाया एक लड़की को I अब जिसने बीबी
बनाया वो लड़की को ले के चला गया अपने घर I अब जो अपने घर चला गया तो बाकी
लोग रोने लगे I माँ रोने लगी बाप रोने लगा भाई रोने लगा सहेली रोने लगी I
अरे तुम जा रही हो तुम जा रही हो क्यो मैं क्या जाती ना तुमको नही मालूम था
की मैं जाऊँगी मेरा ब्याह होगा I मालूम तो था लेकिन फिर भी I क्या फिर भी
अगर कोई बात पहले से मालूम है तो परेशानी की क्या बात है यह तो स्वाभाविक
रोज़ हो रहा है सब जगह हो रहा है I लेकिन मैने ये भावना बनाया था की ये
मेरी सहेली है इससे बात करने में अच्छा लगता है सुख मिलता है तुझको देखने
में सुख मिलता है तुझसे प्यार करने में सुख मिलता है I ये जो तुम्हारे मन
की बनाई हुई दुनिया है उस लड़की के प्रति वो तुम्हे दुखी कर रही है लड़की
तो बिचारी एक है उसको क्या मतलब एक सुखी हो रहा है उसका पति बाकी लोग दुखी
हो रहे हैं I अब वो सुख दुख जो मिल रहा है किसी को अपने पर्सनल आइडिया के
कारण मिल रहा है , लड़की में ना सुख है ना दुख है लड़की से क्या मतलब है वो
तो एक लड़की है भगवान की बनाई हुई एक वस्तु है I तो भगवान की बनाई हुई
वस्तु मिथ्या नही है वो सत्य है I उसमे जो हम आइडिया बनाते है उसके कारण हम
लोगों को सुख- दुख मिला करता है I और जिसने कोई आइडिया कही नही बनाया उसी
को महात्मा कहते है परमहंस है I उसको कोई दुख नही मिला I क्योंकि वो जानता
है की यह समान सब सरकारी है I यह संसार सरकारी है I सरकारी समान को अपना
समान कहना या मानना जुर्म है I और ऐसे सरकार के समान को जो सर्वान्तर्यामी
है ,आपने सोचा नियत खराब किया नोट हो गया I ना गवाही की ज़रूरत है ना कोई
मुक़दमे की ज़रूरत है I दुनियावी गवर्नमेंट का अगर कोई रुपया गबन करता है
कोई खजांची कोई बैंक का आदमी कोई अपने किसी ऑफीस का आदमी , तो देखो वही नही
भाग पाता कही लेकिन वो भाग भी जाए मान लो पर ईश्वरीय गवर्नमेंट की चोरी
करने वाला कैसे बचेगा I
----- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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