तत्कर्म हरितोषं यत् सा विद्या तन्मतिर्यया॥
(भागवत, ४-२९-४९)
कर्म क्या है? जो भगवान् के निमित्त हो। ज्ञान क्या है? जिससे भगवान् में
मन का अटैचमेंट हो।हमारी बुद्धि में ये सही ज्ञान आ जाये कि शरीर के लिये
संसार है,
आत्मा के लिये भगवान् है।
----- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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