मैं, मैं, मैं , मैं काहे करे मूढ़ आठु यामा ।
आज जानि काल वृक भेजे यम धामा ।।
भावार्थ- अरे मूर्ख ! बकरे के समान रात दिन मिथ्या अभिमान-वश ' मैं मैं '
क्यों करता है। काल - रूपी भेड़िया तुझे यमलोक भेजने की तैयारी में लगा
है ।
जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज ।
श्यामा - श्याम गीत (३)
राधा - गोविन्द समिति।
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