एक
वाक्य तुम लोग आपस में सहन नहीं कर सकते । क्या चीज़ है तुम लोगों के पास
अहंकार की, जो सहन नहीं कर सकते किसी ने एक वाक्य कहा भी तो चुप हो जाओ, ऐ
तुरन्त जबाब । इससे कितना नुकसान हो रहा है तुम लोगों का सोचो, ऐसे ही
नुकसान करते जाओगे एक दिन मर जाओगे और कहोगे कि ओ जगद्गुरु कृपालु जी
महाराज हमारे गुरु थे और राधारानी का दरबार भी हमको मिला था, और हमने
लापरवाही से अपना भविष्य नहीं बनाया, अपना बिगाड़ा कर लिया तो ये आपस में
द्वेष करना, दूसरे को दुःखी करना सबसे बड़ा पाप कहा गया है दूसरे को दुःखी
करना, ये जानते हुये की सबके हृदय में श्यामसुन्दर बैठे हैं और फिर अपराध
करते हो । हम अपनी सहनशीलता को बढावे, दीनता को बढ़ावे, नम्रता को बढ़ावे
ये गुण हैं, ईश्वरीय ।
......श्री महाराज जी।
......श्री महाराज जी।
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