Thursday, August 13, 2015
DIVINE WORDS BY-JAGADGURU SHRI KRIPALU JI MAHARAJ.
Spend some private time with God every day and pray to Him. Play a CD of bhajans, i.e. devotional songs. Sing along with, or after the singer. Keep a picture of Lord Krishna in front of you. Next, take Him out of the picture and visualize Him as a living entity. He is six feet tall and very alluring. His eyes are blinking, His arms are moving, He is smiling, He is walking towards you. Embrace Him lovingly. Fall at His lotus feet and wash them with your tears.
Spend some private time with God every day and pray to Him. Play a CD of bhajans, i.e. devotional songs. Sing along with, or after the singer. Keep a picture of Lord Krishna in front of you. Next, take Him out of the picture and visualize Him as a living entity. He is six feet tall and very alluring. His eyes are blinking, His arms are moving, He is smiling, He is walking towards you. Embrace Him lovingly. Fall at His lotus feet and wash them with your tears.
Thursday, August 6, 2015
माया ने भुलाया अरु गोविंद राधे।
गुरु ने जगाया ये भिखारी उन्हें का दे।।
भावार्थ: माया ने जीव को अपना स्वरूप- मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ,भुला दिया था। वह अपने को शरीर मान कर शरीर के नातेदारों में ही आसक्ति कर बैठा। गुरु ने उसे इस मोह तंद्रा से जगा कर उसे याद दिलाया कि तुम शरीर नहीं आत्मा हो अतः तुम्हारा संबंध केवल परमात्मा से ही है। इस उपकार के बदले शरीर के सुख साधन की भौतिक सम्पत्ति का भिक्षुक अपने गुरु को क्या दे सकता है?
.......श्री महाराजजी।
गुरु ने जगाया ये भिखारी उन्हें का दे।।
भावार्थ: माया ने जीव को अपना स्वरूप- मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ,भुला दिया था। वह अपने को शरीर मान कर शरीर के नातेदारों में ही आसक्ति कर बैठा। गुरु ने उसे इस मोह तंद्रा से जगा कर उसे याद दिलाया कि तुम शरीर नहीं आत्मा हो अतः तुम्हारा संबंध केवल परमात्मा से ही है। इस उपकार के बदले शरीर के सुख साधन की भौतिक सम्पत्ति का भिक्षुक अपने गुरु को क्या दे सकता है?
.......श्री महाराजजी।
अपने
व्यवहार को संसार के अनुकूल बनाओ। इसमें बहुत लोग भूल किया करते हैं। कहते
हैं अजी हमसे किसी कि खुशामद नहीं होती किसी कि गुलामी नहीं होती।
यह गुलामी और खुशामद दो प्रकार कि होती हैं - एक एक्टिंग में और एक फैक्ट में। हम फैक्ट में नहीं कर रहें हैं कि किसी के आगे झुक जाओ।
फैक्ट में तो केवल हरि हरिजन के आगे ही झुकना है। संसार में तो केवल व्यवहार करना है।
{ कम बोलो , मीठा बोलो। अपने व्यवहार को मधुर बनाओ। }
-------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।
यह गुलामी और खुशामद दो प्रकार कि होती हैं - एक एक्टिंग में और एक फैक्ट में। हम फैक्ट में नहीं कर रहें हैं कि किसी के आगे झुक जाओ।
फैक्ट में तो केवल हरि हरिजन के आगे ही झुकना है। संसार में तो केवल व्यवहार करना है।
{ कम बोलो , मीठा बोलो। अपने व्यवहार को मधुर बनाओ। }
-------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।
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