Monday, September 5, 2011

HAPPY RADHAASHTAMI TO ALL DEAR FRIENDS ACROSS THE GLOBE...........

कीर्ति घर प्रकटीँ कीर्ति कुमारि |
ब्रह्मादिक स्वस्त्ययन पाठ कर, अस्तुति करि श्रुति चारि |
नारदादि विरदावलि गावत, कहि जय भानुदुलारि |
ताण्डव नृत्य करत शिवशंकर, सुधि बुधि देह बिसारि |
उमा रमा ब्रहमाणी आदिक, आरति कुँवरि उतारि |
... लखत ‘कृपालु’ ज्ञानिजन इकटक, पुनि पुनि कहि बलिहार ||

भावार्थ- आज महारानी श्री कीर्ति जी के महल में श्री राधिका जी का प्राकट्य हुआ है, जिसके उपलक्ष्य में ब्रह्मादिक देवाधिदेव वेदमन्त्रों से स्वस्त्ययन पाठ कर रहे हैं एवं चारों वेद मूर्तिमान होकर ऋचाओं के द्वारा स्तुति कर रहे हैं | नारदादि महर्षि वृषभानुनंदिनी की जयकार बोलते हुए यशोगान कर रहे हैं | भगवान् शंकर शरीर की सुधि-बुधि भूल कर, आनन्द में विभोर, ताण्डव नृत्य कर रहे हैं | पार्वती, महालक्ष्मी एवं ब्रहमाणी आदि महाशक्तियाँ कीर्तिकुमारी की आरती उतार रही हैं | ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि दर्शनीय दृश्य तो यह है कि जिनके लिए ब्रम्ह अदृष्ट एवं अशरीर आदि है, वे परमहंस लोग भी वृषभानुनंदिनी को देख-देखकर, प्रेम-विभोर होकर, ‘बलिहारी है’, ‘बलिहारी है’ का नारा लगा रहे हैं |


(प्रेम रस मदिरा श्री राधा-बाल लीला -माधुरी)
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित- राधा गोविन्द समिति

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