Tuesday, April 8, 2014

परमार्थ के मार्ग पर चलने वाले को भविष्य की चिन्ता कैसे? वह तो भगवान के शरणागत है,और शरणागत जीव का योगक्षेम भगवान स्वयं वहन करते हैं।
..........श्री महाराजजी।

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