Friday, August 2, 2013

महापुरुषों के स्मरणमात्र से ही अंतःकरण शुद्ध हो जाता है। फिर वह स्वयं साक्षात् आपके घर पर पधार जायें तब तो वो घर मंदिर बन जाता है , पवित्र हो जाता है। उनके दर्शन , स्पर्श , चरणप्रक्षालन और आसन दान आदि का सौभाग्य मिलने पर तो वो जीव धन्य हो जाता है , कृतकृत्य हो जाता है।
...........श्री महाराज जी।

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