Saturday, May 11, 2013

जैसे कोई अन्धा किसी दूसरे अन्धे से कहे तू नेत्रवान है मुझे घर पहुँचा दे , उसी प्रकार संसार में किसी भी प्राणी के पास सुख नहीं है किन्तु परस्पर सभी एक दुसरे से सुख की आशा लगाये हैं।
*******जगद्गुरु श्री कृपालु महाप्रभु*******
जैसे कोई अन्धा किसी दूसरे अन्धे से कहे तू नेत्रवान है मुझे घर पहुँचा दे , उसी प्रकार संसार में किसी भी प्राणी के पास सुख नहीं है किन्तु परस्पर सभी एक दुसरे से सुख की आशा लगाये हैं। 
*******जगद्गुरु श्री कृपालु महाप्रभु*******



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