Saturday, February 2, 2013





हास परिहास में भी शास्त्रीय सिद्धांतो का निरूपण करके प्रत्येक जाति, प्रत्येक संप्रदाय, बाल,युवा,वृद्ध सभी आयु तथा शिक्षित-अशिक्षित, मुर्ख-विद्धान सभी को जिन्होंने प्रेम पाश में बांधकर विश्व बंधुत्व का क्रियात्मक रूप स्थापित किया है, ऐसे सहज सनेही सुधासिंधू श्री गुरुवर के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।

No comments:

Post a Comment